बेटी को पत्र
पत्र बेटी के लिए
प्रिय बेटी जिज्ञासा
हम लोग सकुशल हैं।आप कैसी हो।पढ़ाई लिखाई कैसे चल रही हैं।आपकी मम्मी आपको बहुत मिस कर रही है।खाना समय पर लेती हो कि नहीं।खान-पान पर विशेष ध्यान देना।खान -पान से ही स्वास्थ्य बनता बिगड़ता हैं।”जैसे खाये अन्न वैसे बने मन”इसलिए भोजन पौष्टिक लेना।थोड़ा-थोड़ा खाना भले ही बार-बार खाना।पढ़ाई डटकर करना।दैनिक गतिविधियों की समय सारणी बना लेना।उस समय सारणी का पालन करना।समय को यू ही न गवांना।
समय ही पूंजी है।समय का सही सदुपयोग करना मेरी बेटी।समय को आज जानोगे तो समय आप को जानेगा।जितने भी महान महापुरुष बने हैं वे समय का कद्र किये है।
इसलिए वो महापुरुष बनें हैं।महापुरुषों के पद चिन्हों में चलकर आपको आगे बढ़ना हैं।कोई बहुत बड़ा कार्य नहीं करना हैं।हर एक छोटे-छोटे कार्य को बड़ा करना हैं।फिर खुद ब खुद बड़े बड़े कार्य आसानी से हो जाएगा।
आपकी सहेलियाँ कैसी है।समय समय पर खेल भी खेलना।कराटे क्लास आपकी कैसे चल रही हैं।काता के बारीकियों को अच्छे से समझना।हर एक पैतरों को नजर मिलाकर करना।
मेरी प्यारी बेटी जिज्ञासा हमेशा खुश रहना।आगे बढ़ना।इन्ही शुभकामनाओ के साथ उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।पत्र पाते ही पत्र लिखना।
आपका पिता
डिजेन्द्र कुर्रे