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24 Jan 2021 · 1 min read

बेटी के संभलने से पहले

बेटी के,
सम्भलने से पहले,
उसे पराया धन कहा गया।
उसके पढ़ने और
आगे बढ़ने से पहले,
उसकी शादी की चिन्ता हो गई,
तुरन्त वर देखा और
शादी कर दी गई।
उसके कुछ बोलने से पहले,
उसकी आवाज बन्द कर दी गई।
पिता के आँगन की
खुशियाँ बनने से पहले,
ससुर के आंगन का
बोझ बना दी गई ।
सुहागरात मनाने से पहले,
उसे दहेज में तोल दी गई ।
पल भर मुस्कुराने से पहले,
जहर भरी बोली बोल दी गई ।
स्टोव जलाने से पहले,
उसे जला कर फूक दी गई ।
‘पृथ्वी’ तेरा इंसान जागने से पहले,
उसे हमेशा की नींद सुला दी गयी।।

– कवि पृथ्वी सिंह बैनीवाल
9518139200, 9467694029

Language: Hindi
1 Comment · 564 Views
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