बेटी के जीवन की विडंबना
बेटी के जीवन की विडंबना
लड़की अल्ट्रासाउंड के बाद कोख में मारी जाएगी या इस धरती पर आएगी……
यह तो उसकी नियति ही बताएगी।
घर के किसी बड़े की रजामंदी से ही वह इस धरती पर आ पाएगी।
या
कभी मां,कभी बाबा या फिर दोनों की समझदारी से वह यह दुनिया देख पाएगी।
बेटी हुई है शायद कही मिठाई बांटी जाएगी, तो कही गमी माहौल में छा जाएगी।
बच्ची ही नही उसकी जननी जन्म देने के जुर्म में रूढ़ समाज में दोषी समझी जाएगी।
यदि बिटिया दो से ज्यादा हो जाए तो तलाक तक की नौबत आ जाती है।
रब खैर करें….
यदि तीसरी भी हो गई तो लड़की के खानदान तक शामत आ जाती है।
तीनों बेटियों की जननी मायके भेज दी जाती है।
यदि ससुराल में ही रह जाए तो उसकी जिंदगी जहानुम बना दी जाती हैं।
बेटी के जवान हो जाने पर……..
शादी में दहेज सहित ससुराल जाएगी।
वरना भिखारियों के खानदान से आई है।
यह बात उसको हर दिन सुनाई जाएगी।
फिर भी
ससुराल में त्योहारों की हर रस्म बेटी के मायके के उपहारों से शुरू करवाई जाती है क्योंकि यह परंपरा सदियों से चली आती है।
कितनी विडंबना है! बेटी जन्म से ही पराई है, ससुराल वाले कहते पराए घर से आई है इसलिए हमें अभी तक नहीं समझ पाई हैं।
* निधन के बाद की रस्में…….*
इंतकाल पर पहने वाले वस्त्र, कफ़न,दाह की लकड़ी, संस्कार के बाद का भोज,सभी रस्में मायके वालों के द्वारा निभाई जाएगी
क्योंकि पुरानी परंपरा निभाई जाएगी।
दो घरों को जोड़ कर रखने वाली लड़की सदा पराई ही समझी जाएगी।
लड़की एक ही जन्म में मां बनने की पीड़ा सह दूसरा जन्म पाएगी।
किसी पूजा स्थल में मां दुर्गा बन पूजी जाएगी।
तो कही घर- घर काम कर वह अपनी आजीविका चलाएगी।
कहीं ससुराल के तानें सुन घुट- घुट मर जाएगी।
नहीं तो किसी वहशी के हत्थे पड़ सूली चढ़ जाएगी।
यदि ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले समय में, लड़की या तो अकेली जीवन बिताएगी।
या
लड़की आत्मनिर्भर हो लड़के को ब्याह कर लाएगी।
तभी लड़के वालों को, लड़की और लड़की वालों की पीड़ा समझ आ पाएगी।
सधन्यवाद
रजनी कपूर