बेटी की विदाई
बाबुल बिटिया तेरी हुई परायी थी,
तेरे आँगन से उसकी हुई विदाई थी।
पहला क़दम जब पड़ा मेरा घर में,
पूरे घर ने खुशियां मनाई थी,
नज़र का टीका लगाकर मुझको,
माँ ने ली मेरी ढेरों बलाए थी,
घुटनों घुटनों चली इस घर में,
हर कोने में मेरी परछाईं थी,
पकड़कर अंगुली मेरी छोटी सी,
माँ मुझको चलना सिखाई थी,
मेरी हर जिद्द को तुमने बाबुल,
पलक झपकते पूरी कराई थी,
माँ के आँचल में सुख पाया मैंने,
हर सांस में महक उनकी पायी थी,
तेरे प्यार की छाँव में बाबुल,
मैं स्वयं को सुरक्षित पायी थी,
गुनाह कौन सा ऐसा मुझसे हुआ,
तुमने कर दी मेरी विदाई थी,
पल भर में सब कुछ छूट गया,
मैं हो गयी आज पराई थी,
डोली इस घर से मेरी निकली,
सबकी आँखे भर आयी थी।
दान किया जिगर का टुकड़ा,
ये कैसी रीति निभाई थी।
बाबुल बिटिया तेरी हुई परायी थी,
तेरे आँगन उसकी हुई विदाई थी।।
By:Dr Swati Gupta