बेटी की बोली
बेटी के बोली
आँसू झन बोहाबे दाई,
जावाथव ससुराल ओ।
मया ल तै राखबे दाई,
छोड़थव दुवारी ओ।
अंतस के पीरा म ददा,
घुट घुट जिये ग।
बेटी के मया म ददा,
सुसक सुसक तै रोये ग।
पाठी पीठा के झगरा भाई,
तैहर झन भुलाबे ग।
पानी ल पियादे भाई,
बहिनी ल बिदा करदे ग।
संगवारी तुहा रहव भौजी,
सुरता अड़बड़ आही जी।
छोड़के अब जावाथव भौजी,
फोन म गोठियाहा जी।
~~~~~~~~~~~~~
रचनाकार – डिजेन्द्र कुर्रे“कोहिनूर”
पीपरभवना,बलौदाबाजार (छ.ग.)
मो. 8120587822