“बेटी की बेटी”
प्रस्तुत कविता मेरी बेटी के यहाँ बेटी के जन्म के कुछ दिनों के बाद आनायास ही निकली क़लम से,उसकी निश्छल मुस्कान देख कर।आप भी पढ़िये:-
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“नातिन”
देखी तुमने मेरी नातिन?
छोटी सी/छुई मुई सी,
ख़्यालों से हल्की,
बादलों की रुई सी।
देखी तुमने मेरी नातिन।
झाँकना मेरे मन के
झरोखे से,
पलकों पे मेरी सिमटी सी,
सपनों में खोई सी।
देखी तुमने मेरी नातिन!
कभी रोती/कभी हँसती,
कभी ख़ूब किलकारती,
निश्च्छल सी/अबोध सी,
अपनी ही दुनियाँ का विस्तार सी—!
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राजेश “ललित”शर्मा
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पता नहीं इस प्रतियोगिता में बेटी की बेटी पर कविता स्वीकृत है या नहीं।