बेटी की बधाई
****बेटी की बधाई****
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जब बेटी हो घर में आई
दिल की गहराई से बधाई
कोई समझे न सुता पराई
माँ बाप की होती परछाई
बेटा बेटी में न कोई अंतर
समझ लो जीवन का मंत्र
बेटी बिन नहीं चले ये तंत्र
देता हूँ अंतर्मन से दुहाई
बेटा हो बुढापे का सहारा
जो न दे तन को निवाला
बेटी बन कर सहारा आए
जिसको समझे सब पराई
माँ की होती घनिष्ठ सहेली
समझती है मन की पहेली
मनसीरत ने तो यही जाना
माँ बाप की सुनती सुनवाई
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)