* बेटी की जिंदगी *
बेटी की दर्दों को छोटी गलतियों से छुपाया जाता है,
बड़ी कामयाबी को भी इनकी छोटी बताया जाता है,
बेटी हर नखरें को आदेश समझ पालन करती हैं,
थोड़े – से लाड प्यार को भी हमेशा याद करतीं है,
हँस – हँसकर अपना जीवन खुशहाल बनातीं हैं,
बेटी अपने चरण कमलों से जग रौशन बनातीं हैं,
जहाँ भी जातीं बेटी अपना घर – संसार बसा लेतीं हैं,
अपनी पहचान बदलने से जीवन अपना बदल लेतीं हैं,
दो शेरों के बीच लोमड़ी पिस – पिसकड़ मर जातीं है,
बेटी अपने और पराये के चक्रव्यूह में घुट – घुटकर रह जातीं हैं,
बेटी के जन्मों पर माता – पिता भी खुशियाँ मनातें हैं,
पर ,समाजिक मनुष्य के मन में मायूसी छा जातें हैं,
बेटी के साथ समय बिताना बहुत भाग्यशाली होता हैं,
इनके अनुपस्थिति में चंचल घर भी वीरान हो जाता हैं,
अपना जीवन सुधार लो बेटियों को सम्मान दो,
इसको हमेशा समर्थन दो अपना जग सॅंवार दो।
लेखक :- उत्सव कुमार आर्या