बेटी का लड़कपन
मैया मत करना मेरा विवाह,
मैं अभी नादान हूं।
खूब पढूगी_खूब लिखूंगी,
पढ़कर ज्ञानवान बनूंगी।
बालापन तेरी गोद में बिताया,
पिताजी को खूब नचाया,
भाई संग लड़कपन पाया,
सारेकुल से प्यार पाया।
अक्षर अ से ज्ञ तक पढ़ूंगी,
ज्ञान , विज्ञान पढूंगी,
पढ़कर संस्कारवान बनूंगी,
पढ़ संविधान, विधान रचाऊंगी
खूब पढूंगी, देश गढूगी,
दो कुल को संभालूगी।
ऐसा उपकार कर मैया,
पार लगे मेरी जीवन नैया।
नारायण अहिरवार
अंशु कवि
होशंगाबाद (मध्य प्रदेश)