बेटी का दर्द…
तू कहे तो माँ मैं ना आऊँ,
इस दलदल सी दुनियाँ में ।
माँ माहौल बता मुझको,
तू अपनी अंधेरी जालिम दुनिया का ।
मैं जियूँ या मर जाऊँ,
फ़िर तू पछतावा मत करना,
यूँ ताने मार मेरे जीवन को,
अपने प्यार से मरहूम नहीं करना ।
कर सकती है तू अन्त हे माँ,
अपनी निर्मल निश्चल बेदाग़ ममता का ।
फिर मुझे शिक़ायत मत करना,
मौक़ा न मिला तुझे कुछ कहने का ।
फ़र्क़ सिर्फ़ इतना होगा माँ,
जब आऊँगी दुनियाँ में, कोई ज़ाहिल मुझे यूँ नौचेगा ।
भला गर चाहे तू मेरा,
कर कत्ल मेरा तू गर्भतले, बेदर्द तुझे इतना होना होगा ।
“आघात” आज तू निश्चय करले,
अवला की राह मिले मुशिकल, उस कष्ट को तू अपना लेना ।