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24 Jan 2021 · 1 min read

बेटियों से धरा खुशहाल

धरा पर बेटियाँ है बमिसाल,
इन्हीं से ये धरा है खुशहाल।
बेटियों बारे अब बदलो सोच,
लगे न काँटा आये न मोच।।

बनो मार्गदर्शक बेटियों के,
संवारों भविष्य बेटियों का।।
सोच परम्परा बदलो अब,
बेटियों संग चलो मिल सब।।

बेटियों की पढ़ाई छूटे ना,
किस्मत उनकी कभी रूठे ना।।
शादी बेटियों की करो तब,
सम्पर्ण समर्थ हो जाए जब।।

शादी केवल विकल्प नहीं है,
शादी उसका संकल्प नहीं है।।
बेटियों से संस्कार हमारा है,
बेटियों का रूतबा प्यारा है।।

बेटियों का सब करो सम्मान,
बेटियाँ देगी हमको सम्मान।।
करो बेटी का सम्मान करो,
बेटी भावी माँ है ध्यान करो।।

‘पृथ्वीसिंह’ नमन बेटी को है,
बेटी बिना सब श्मशान है।।

-कवि पृथ्वीसिंह बैनीवाल
9518139200, 9467694029

Language: Hindi
4 Likes · 1 Comment · 315 Views
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