बेटियां
बेटियां होती है खुदा का दिया वरदान,
क्यों समझते हो बेटियों को तुम मेहमान।
बेटियां चिड़िया सी चहकती है, अगर ,
हँसी से महकाती है तुम्हारे आंगन को मगर।
मानों बेटियां तितली सी ही तो होती है वो,
बड़ी होते ही अपने ससुराल चली जाती है वो।
हां बेटियां दो कूलों की लाज हाथों में रखती है
तभी तो बेटियां बहन,बहू और मां कहलाती है।
बेटियों। के होने। से घर में लक्ष्मी का वास है,
बेटियों के होने से ही बेटों का निवास है।
बेटियों के मुस्कुराहटों का नहीं होता कोई मोल,
हे मनुज ! तुम उन्हें अपने नजरों से न तोल।
खिल जाते हैं बेटियों को देखने वाले के बोल,
बेटियां मासूम होती हैं दिल तो अपना तुम खोल।
ननकी पात्रे ‘मिश्री’