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6 Jun 2023 · 1 min read

बेटियां

सच बेटियां सड़क पर चल रही हैं। सोच समझ के साथ पढ़ रही है। बस आधुनिक समय की फैशन समझ रही है। मन भावों में झूठ पाल रही है। माता पिता को बहाने दे रही है। सच अपनी समझदारी ना समझ रही है। सच बच्चों की गलती भूलाई जाती हैं। एक उम्र और समझ गलत हो जाती है। बस जिसने जन्म दिया हमको है। हम न बात उसकी समझ रहे हैं। सच तो बेटियां सड़क पर कट रही है। समाज और सोच सब हम ही तो है। हां नासमझी हम सब जानते है। हां तुम नारी शक्ति सभी मानते हैं। बस सोच और दृढ़ निश्चय होते हैं। सब दोषी सजा तो पा ही जाते है। बस बेटियां खो गई तब हमें सजा है। आओ सोचे कदम उठाते हैं। हम सभी बेटियां सोच समझ बनाते हैं।

नीरज अग्रवाल चंदौसी उप्र

1 Like · 3 Comments · 460 Views
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