बेटियां
दुर्गा, लक्ष्मी का रुप कहलाती,
सबके दिलो को यह है भाँति,
सबको बढ़ावा देती है।
फिर क्यों नकारते हो बेटियां?
लडके भी अब इनसे हार जाते,
सबका सम्मान करती हैं,
सबसे प्यारी होती है।
इसीलिए
घर की ज्योति कहलाती है
फिर क्यों नकारते हो बेटियां?
तितली-सी लहराती है.
किसी की माँ-बहन तो
किसी की दादी-नानी कहलाती है
इनके बिना कुछ भी नहीं है तुम्हारी यह दुनिया,
फिर क्यों नकारते हो बेटियां?
– श्रीयांश गुप्ता