बेटियां
ये खुदा ऐसा क्यों बनाया , तूने इन बेटियों को
हर दर्द को ऐसे ही पी गई ,कुछ कहे बिना
जब न मिले हक के खिलौने, न पूरा दुलार मिला
फिर भी अपने हिस्से का प्यार , दे दिया भाईयों को
ये खुदा ऐसा क्यों बनाया , तूने इन बेटियों को ।।
ताने कसे जमाने भर ने फिर भी उफ तक न कि
कभी कहा पराया धन , कभी बोझ समझा
जो पता चला मां के गर्भ में पलती बेटी
तो दुनियां में हि न आने दिया
ये खुदा ऐसा क्यों बनाया , तूने इन बेटियों को ।।
हमेशा पिता की आंखो से डरती रही
भाई ने भी अनुशासन खूब किया
जब रोटी न हुई गोल, मां ने कहा कुछ सीख
पराये घर जाना है।
जब खुल कर हंस ली कुछ,तो धीरे हंस लड़की जाति ऐसे नहीं हंसती , कुछ यूं कहा गया
फिर भी रखती है वो सबका मान
रह कर इन पाबन्दियों में
ये खुदा ऐसा क्यों बनाया , तूने इन बेटियों को ।।
जब बेटी बन किसी की अर्धांगिनी, चली पिया के द्वार
लगा उसे मैं भी पाऊंगी , सुख दुख बांट
पर हुआ न वहां भी कुछ ऐसा
मिली तो बस घूंघट की आड़
आई है पराए घर से , मां ने कुछ सिखाया न
हमे समझेगी क्यों अपना , फिर वही तिरस्कार
फिर भी मांगती परिवार की खुशियां दुआओं में
ये खुदा ऐसा क्यों बनाया, तूने इन बेटियों ।।
✍️रश्मि गुप्ता@ Ray’s Gupta