बेटियां
कहते है दो कुलों को
जोड़ती है बेटियां
मुश्किलो को अक्सर
तोड़ती है बेटियां।
त्याग और समर्पण की
मूर्ति होती है बेटियां
मायका और ससुराल को
प्रेम से सींचती है बेटियां।
फिर बेटी से बहु के सफर में
क्यों भेदभाव सहती है बेटियां
ख्वाबों को अपने क्यों
आंखियों के नीर से धोती है बेटियां।
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#स्वरचित मौलिक
शालिनीपंकज दुबे