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29 Jan 2017 · 1 min read

बेटियाँ

घर की फुलवारी का
सबसे सुंदर फूल होती बेटियाँ
अपनेपन का आँगन होती बेटियाँ
मिश्री सी मीठी डली होती बेटियाँ
घर की ताजा सुबह होती बेटियाँ
दूज का पतला चाँद होती बेटियाँ
पतझड़ में गुलमोहर होती बेटियाँ
सारे रिश्तों की जननी होती है बेटियाँ

किन्तु क्यों आज भी……..
पिता के ललाट की
पहली चिंता रेखा भी होती बेटियाँ
सिर का पहला सफेद बाल भी होती बेटियाँ
चेहरे की पहली झुर्रि भी होती बेटियाँ
नजर के चश्मे का पहला पाव नम्बर
अधेड़ अवस्था का पहला आँसू
भी होती है बेटियाँ
खुशी और चिंता का
मिलाजुला झरना होती है बेटियाँ।।

डॉ प्रियदशिर्नी अग्निहोत्री

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