बेटियाँ
बेटियाँ ठुमकत अँगना,तुतले- तुतले बोल,
छम-छम पैंजन की छमक,छिन कितने अनमोल।१।
जग में तीरथ बेटियाँ,तारत दो परिवार,
है पहिला तो मायरा,दूजा है ससुरार।२।
मनोयोग से बेटियाँ,सम्हाले घर-बार,
रँग-बिरँगी राँगोलियाँ,साजत अँगना-द्वार।३
औलादों में बेटियाँ,नंबर वन औलाद,
नहीं रहीं अब छुइ-मुई,अब हैं ये फौलाद।४।
मुसीबतों में बेटियाँ,मात-पिता के संग,
कलियुग का बन के श्रवन,ले जाती है गंग।५।
बेटियाँ अबला न रहीं,अब दुर्गा-अवतार,
दुर्जन-दुष्टों का करें,सरे आम संहार।६।