बेटियाँ
★बेटियाँ★
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चम्पाहार श्रृंगार बेटियाँ
खुशबू का संसार बेटिया
घर की शोभा दुबरी करती
फिर भी मुख से कुछ न कहती
मूक रहे हर लेती पीड़ा
कब माँगे अधिकार बेटियाँ
थके हुये जीवन को देती
एक नया श्रृंगार बेटियाँ
मीरा झाँसी मदर टरेसा
बनकर आई थी ये बेटिया
आधी तूफान है बेटे तो
शीतल मंद बयार बेटियाँ।
शील समर्पण औ’ साहस का,
हैं सुन्दर श्रृंगार बेटियाँ।
पिता के सपनों को सच करतीं,
उनकी हैं मनुहार बेटियाँ।
ममता से तन मन पुलकित कर,
देती अतीव उपहार बेटियाँ।
पति के जीवन में अाकर के,
रचती इक संसार बेटियाँ।
और आन कि बात जो होती,
तेज धार तलवार बेटियाँ।
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— प्रियंका झा ‘प्रवोधिनी’
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