बेटियाँ
बेटियाँ घर की
रौनक
रोशनी समाज की
लाडली माँ की
आँगन की किलकारी
फुलवारी I
बेटियाँ होती प्यारी
निभाती फर्ज
महानता का
करती संघर्ष
जीवन भर
रचती इतिहास नित नया
करती रोशन
नाम माँ बाप का I
बेटियाँ सन्देश
समाज की
इनके बिना
न महकते फूल
आँगन के
न होता उदय रवि
मयंक भी
इन्हीं से बँधी है
डोर
विश्व,धरा पटल की I
अशोक बाबू माहौर