बेटियाँ
हरमन को मनभावन लगती हैं बेटियाँ,
माँ पिता के दिल में बसती हैं बेटियाँ.
रंज हो खुशी हो या हो बिजलियाँ,
दर्द भी ये हँस कर सहती हैं बेटियाँ.
लिबासों,विचारों में कैद कर लिया,
फिर भी आसमां में उड़ती हैं बेटियाँ.
माँ -पिता की वो तो ढाल बन गयी,
संग-संग हरदम चलती हैं बेटियाँ.
बंजर हो याकि वीरां,है दिल की बस्तियां,
बगिया के फूल सी ये खिलती हैं बेटियाँ.
©® आरती लोहनी..