बेटियाँ
बेटियाँ
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वसुंधरा में रीति नीति ,
परिपाटी हैं ये बेटियाँ।
नभ तक जाने को हर बेड़ी,
काटी हैं ये बेटियाँ।
मुख में मधुर-मधुर मुश्काने,
मन मंदिर में ममताई।
कोमल उर्वर समर्पिता सम,
माटी है ये बेटियाँ।।
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★डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर” ✍️✍️