बेटियाँ ##
सरस्वती का मान हैं बेटियाँ !!
देवी का रूप देवो के मान हैं बेटियाँ !!
परिवार के कुल को जो रोशन करे !!
वो चिराग हैं बेटियाँ !!
खिलती हुई कलियां हैं बेटियाँ !!
माँ बाप के दर्द को समझती है बेटियाँ !!
हर दर्द सह कर भी सबको खुश रखती है !!
ऐसी होती हैं बेटियाँ !!!
मायके में रहती हैं तो बेटी बन कर !!
सबको सम्भालती हैं बेटियाँ !!
ससुराल में कभी बहु कभी माँ बन कर !!
हर किरदार को बखूबी निभाती है बेटियाँ !!
पता नहीं क्यों लोग बेटियों को बोझ समझते हैं !!
सबका बोझ उठाती है बेटियाँ !!
बेटियों के जन्म पर नहीं बजती बधाईयाँ !!
फिर भी सबको खुश रखती हैं बेटियाँ !!
कभी बेटे की चाह में !!
माँ के कोख में ही मारी जाती हैं बेटियाँ !!
कभी समाज में कभी भरे बजार में !!
हर जगह खरीदी और बेची जाती हैं बेटियाँ !!
कभी किसी के हवस बन जाती हैं !!
कभी जिंदा जलाई जाती हैं बेटियाँ !!
हर जगह इम्तिहान से गुजराती हैं !!!
फिर भी महान होती हैं बेटियाँ !!
मायके में सुनती है की पराया धन हैं !!
ससुराल में पराये घर से आई हैं बेटियाँ !!
दो घरो को सम्भालती हैं !!
फिर भी एक घर की भी नहीं रहती हैं बेटियाँ !!
लेखिका
मीना सिंह राठौर
नोएड उत्तर प्रदेश