बेटियाँ…!
आँगन में चहकती हुई,
घर की रौशनी है बेटियाँ!
माँ के आँचल से लिपटी हुई,
बूढ़े माँ बाप की लाठी है बेटियाँ!
एक घर से दूसरे घर को जो उजाला कर,
जीवन को खुशाली से भरे वो है बेटियाँ!
जो इस पूरी सृष्टि को जन्म दे,
भगवान् का वो सूंदर रूप है बेटियाँ!
~ गरिमा प्रसाद🥀