बेटियाँ
पापा की परी होती है बेटियाँ,
माँ की लाडली होती है बेटियाँ,
भाई का प्यारी होती है बेटियाँ,
बहन की सखी होती है बेटियाँ।
बेटियाँ तो झेल लेती है सभी के नख़रे
पर बेटियाँ के नख़रे झेलने वाला नहीं कोई
सभी का सम्मान करती है बेटियाँ
पर बेटियाँ का सम्मान करने वाला नहीं कोई
कितने दुखों का पहाड़ सहकर भी!
सभी की देखभाल करती है बेटियाँ ।
घर की जिम्मेदारी सँभाल कर भी
थकती नहीं है बेटियाँ,
तो देश की रक्षा के लिए
लड़ती है बेटियाँ,
दुश्मनों के सामने सर झुकाती नहीं
सर कटा लेती है बेटियाँ।
पढ़-लिखकर देश की सेवा,
रक्षा करना चाहती है बेटियाँ
पर उसे यह कहकर नहीं पढ़ाते,
तुम बेटी हो!
पढ़-लिखकर क्या करना?
अंत में तुम्हें जाना तो ससुराल ही है,
वहाँ जाकर करना तो घर का काम-काज ही।
सरस्वती,पार्वती, दुर्गा,
काली,लक्ष्मी, गंगा,यमुना
का रूप होती है बेटियाँ।
संकट आने पर
रानी दुर्गावती व रानी लक्ष्मीबाई,
का रूप धारण कर लेती है बेटियाँ।
पाप करने वालों के लिए काली,
और पुण्य करने वालों के लिए लक्ष्मी,
का रूप धारण करती है बेटियाँ।
नाम – उत्सव कुमार आर्या
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार