‘बेटियाँ हमारी खुशियाँ’
बेटियाँ हमारी खुशियाँ..??????????
बेटियाँ बड़ी महान होती हैं,
ये घर आँगन की शान होती हैं।
वस्तु समझ दान क्यों करते हो?
बेटी हुई माँ पर दोष धरते हो।
बेटी बंटती है इस घर से उस घर,
पर घर कभी बेटी के नाम कहाँ बंटा?
बेटी बाँटती है अपने सुख हमेशा,
पर सुख कब बनता है बेटी का हिस्सा।
फिर भी हमेशा लजाती है मुस्काती है,
आँसू अगर बहें, पल्लू में छुपाती है।
सहती है न जाने क्या- क्या इस जमाने में,
पड़ जाए अकेली तो आग में जल जाती है।
अरे ! बेटी को हिस्सों में मत बाँटो,
उसको माँ की कोख में मत काटो।
बेटी बिना तुम अजन्मे ही रह जाओगे,
जब बेटी नहीं तो बहू कहाँ से लाओगे?