Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Jan 2017 · 1 min read

बेटियाँ——–“सुन रहे हो बाबा”

एक बेटी की बात अपने पिता से—-

सुन रहे हो बाबा !

जगाये थे जब मैंने
दबे अहसास
लिख डाले थे, अधरों पर
रुके अल्फाज़,
तुमने आँखें तरेर
मचाया था कोहराम
और डायरी जला
लगाया था विराम,
बारहवीं उत्तीर्ण होते ही
बजा दी थी शहनाई
पंख दिए थे काट
मुरझाई थी तरुणाई।

सुन रहे हो बाबा !!

कितना था समझाया
न सुनी माँ की तुमने
घुटे अरमानों तले
ली थी विदाई हमने,
ससुराल पहुँच बंध गयी
गृहस्थी के बोझ तले
मसल गयी कली
पुरुषत्व के वजूद तले,
बन चार बच्चों की माँ
रम गयी दरख़्तों में,
भावों को था बहा दिया
अल्फ़ाज़ों को अश्क़ों में।

सुन रहे हो बाबा !!!

पचास बसंत आज पार किये
पर तुमको भूल न पाई मैं
कविता रचने का अहसास
शायद तुम्हीं से पाई मैं,
तुम्हारे रौद्र रूप को याद कर
लिख डालीं दो चार किताब
दिया जो तुमने दर्द मुझे
वो निकल पड़े बन अल्फाज़,
ढूँढ रही अपने अंदर
बचपन की वो जली डायरी
क्या दे सकोगे मुझको तुम
खोई हुई पहली शायरी !
खोई हुई पहली शायरी !!
खोई हुई पहली शायरी !!!

नीरजा मेहता

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 578 Views
Books from डॉ. नीरजा मेहता 'कमलिनी'
View all

You may also like these posts

वंदनीय हैं मात-पिता, बतलाते श्री गणेश जी (भक्ति गीतिका)
वंदनीय हैं मात-पिता, बतलाते श्री गणेश जी (भक्ति गीतिका)
Ravi Prakash
तेवरी
तेवरी
कवि रमेशराज
अंदर तेरे शक्ति अगर गंभीर है
अंदर तेरे शक्ति अगर गंभीर है
Priya Maithil
फिर से
फिर से
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
2511.पूर्णिका
2511.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
নিমন্ত্রণ
নিমন্ত্রণ
Pijush Kanti Das
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
Shankar lal Dwivedi and Gopal Das Neeraj together in a Kavi sammelan
Shankar lal Dwivedi and Gopal Das Neeraj together in a Kavi sammelan
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
जब हम नकारात्मक टिप्पणियों को बिना आपा खोए सुनने की क्षमता व
जब हम नकारात्मक टिप्पणियों को बिना आपा खोए सुनने की क्षमता व
ललकार भारद्वाज
ज़िंदगी भी क्या है?
ज़िंदगी भी क्या है?
शिवम राव मणि
थक गये चौकीदार
थक गये चौकीदार
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
भला लगता है
भला लगता है
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
राष्ट्र शांति
राष्ट्र शांति
Rambali Mishra
" पीती गरल रही है "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
सच पागल बोलते हैं
सच पागल बोलते हैं
आशा शैली
- जीवन का उद्देश्य कुछ बड़ा बनाओ -
- जीवन का उद्देश्य कुछ बड़ा बनाओ -
bharat gehlot
" बच्चे की दुआ "
Dr. Kishan tandon kranti
मजे की बात है
मजे की बात है
Rohit yadav
औरत को बनाया तूने बहुत सोच-समझकर,
औरत को बनाया तूने बहुत सोच-समझकर,
Ajit Kumar "Karn"
*ताना कंटक एक समान*
*ताना कंटक एक समान*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
डियर दीपू
डियर दीपू
Abhishek Rajhans
एक भगाहा
एक भगाहा
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
कहने की कोई बात नहीं है
कहने की कोई बात नहीं है
Suryakant Dwivedi
मनभावन
मनभावन
SHAMA PARVEEN
गरीबी और लाचारी
गरीबी और लाचारी
Mukesh Kumar Sonkar
बन बादल न कोई भरा
बन बादल न कोई भरा
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
गीत लिखूं...संगीत लिखूँ।
गीत लिखूं...संगीत लिखूँ।
Priya princess panwar
Kavita
Kavita
shahab uddin shah kannauji
पता नहीं किसने
पता नहीं किसने
Anil Mishra Prahari
बनाकर रास्ता दुनिया से जाने को क्या है
बनाकर रास्ता दुनिया से जाने को क्या है
कवि दीपक बवेजा
Loading...