बेटियाँ पीहर से प्यार मांगती[कविता ]
बेटियाँ पीहर से प्यार मांगती,
अपनापन भरा इकरार नापती।
बेटी समपर्ण से धन घटता नही ,
बड़प्पन सजी सौगात ताकती है|
बेटियाँ पीहर आती ज़ड़े सींचती हैं,
सुन सभी भाई- खुशी रीझती है।
सुनहली बचपन यादे गूँजती है ,
नजर उतार सब भतीजे ढूढ़ती |
शगुन मना फले मन्था टेकती ,
आशीष दे बस कामयाबी देखती।
नहाने आती मैके नेह -निर्झरी ,
सुखों चंदन बनी खुशबू उड़ेलती।
रेखा मोहन २२ /१/२०१७