बेजुबान की आवाज
बिन मांगे खुदा ने रंगीन तोहफों से सजाया है हमें,
पर उसके दिए हर तोहफे का मज़ाक बनाया है हमनें,
उन्हीं तोहफों में से इक नायाब तोहफा उसने हमें दे दिया
मासूम बेजुबान को संजीदगी के साथ इसने अजीज हमारा बना दिया,
कुछ लोगों की जिंदगी में अपनों से ज्यादा अहमियत इनकी हो गई,
तो कुछ लोगों के लिए इनकी जिन्दगी आवारगी की फेहरिस्त में शामिल हो गई,
क्या कुसूर इन बेजुबान का जो दर्द इतना पाते हैं,
क्या बाढ़ क्या सुनामी हर तकलीफ में पहले सजा यही पाते हैं,
कभी तरसे नहीं हम ऐसे जैसे यह हर पल तरसते हैं,
जिए नहीं कभी उस साए में जिस डर के साए में वो दिन रात रहते हैं,
अगर वाकई फिक्र है तुम्हे उन बेजुबानों की बेहद,
तो फिर पल भर की खुशी के लिए क्यूं उन्हें सताते हो,
जिससे मिलती जग को खुशी वो खुद भी खुशी पाने का हकदार है,
मत तड़पाओ उन बेजुबान को क्यूंकि उसका बदला लेने के लिए तुमसे खुदा हो रहा तैयार है