Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Dec 2020 · 1 min read

बेजान परिंदा…!!

बेजान परिंदा हूँ मैं,मुझ मे अभी जान बाकी हैं!
सँभल के देखना मुझको अभी तुफ़ान बाकी हैं!

लहरों की ख़ामोशी को तू बेबसी ना समझना!
जितनी गहराई अंदर हैं उतना तूफ़ान बाकी हैं!
#LafzDilSe By Anoop Sonsi

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 400 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*अम्मा*
*अम्मा*
Ashokatv
नव्य उत्कर्ष
नव्य उत्कर्ष
Dr. Sunita Singh
(1) मैं जिन्दगी हूँ !
(1) मैं जिन्दगी हूँ !
Kishore Nigam
"राज़" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
जनक छन्द के भेद
जनक छन्द के भेद
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
बिछड़ के नींद से आँखों में बस जलन होगी।
बिछड़ के नींद से आँखों में बस जलन होगी।
Prashant mishra (प्रशान्त मिश्रा मन)
🏞️प्रकृति 🏞️
🏞️प्रकृति 🏞️
Vandna thakur
दर्द ए दिल बयां करु किससे,
दर्द ए दिल बयां करु किससे,
Radha jha
बड़ा गहरा रिश्ता है जनाब
बड़ा गहरा रिश्ता है जनाब
शेखर सिंह
अगर ना मिले सुकून कहीं तो ढूंढ लेना खुद मे,
अगर ना मिले सुकून कहीं तो ढूंढ लेना खुद मे,
Ranjeet kumar patre
देश के अगले क़ानून मंत्री उज्ज्वल निकम...?
देश के अगले क़ानून मंत्री उज्ज्वल निकम...?
*Author प्रणय प्रभात*
तेरे बग़ैर ये ज़िंदगी अब
तेरे बग़ैर ये ज़िंदगी अब
Mr.Aksharjeet
Maine apne samaj me aurto ko tutate dekha hai,
Maine apne samaj me aurto ko tutate dekha hai,
Sakshi Tripathi
परीक्षा
परीक्षा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"आओ मिलकर दीप जलायें "
Chunnu Lal Gupta
रूठी हूं तुझसे
रूठी हूं तुझसे
Surinder blackpen
"आखिरी निशानी"
Dr. Kishan tandon kranti
राखी की यह डोर।
राखी की यह डोर।
Anil Mishra Prahari
हर दिन रोज नया प्रयास करने से जीवन में नया अंदाज परिणाम लाता
हर दिन रोज नया प्रयास करने से जीवन में नया अंदाज परिणाम लाता
Shashi kala vyas
Time Travel: Myth or Reality?
Time Travel: Myth or Reality?
Shyam Sundar Subramanian
ढोना पड़ता देह को, बूढ़ा तन लाचार (कुंडलिया)
ढोना पड़ता देह को, बूढ़ा तन लाचार (कुंडलिया)
Ravi Prakash
नहीं भुला पाएंगे मां तुमको, जब तक तन में प्राण
नहीं भुला पाएंगे मां तुमको, जब तक तन में प्राण
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
अब तो उठ जाओ, जगाने वाले आए हैं।
अब तो उठ जाओ, जगाने वाले आए हैं।
नेताम आर सी
फूल खिले हैं डाली-डाली,
फूल खिले हैं डाली-डाली,
Vedha Singh
3240.*पूर्णिका*
3240.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जब एक ज़िंदगी
जब एक ज़िंदगी
Dr fauzia Naseem shad
1-	“जब सांझ ढले तुम आती हो “
1- “जब सांझ ढले तुम आती हो “
Dilip Kumar
जन्म से मृत्यु तक भारत वर्ष मे संस्कारों का मेला है
जन्म से मृत्यु तक भारत वर्ष मे संस्कारों का मेला है
Satyaveer vaishnav
किसी नौजवान से
किसी नौजवान से
Shekhar Chandra Mitra
Loading...