बेचैनी सी रहती है सुकून की तलाश में
बेचैनी सी रहती है सुकून की तलाश में
टूटे किनारों पे बैठा हूँ समन्दर की तलाश में…!
ये भी बिखरें है और मैं भी एक जैसे हालात
ये बह गए मैं थम गया बस खोए है अपनी तलाश में…!
बेचैनी सी रहती है सुकून की तलाश में
टूटे किनारों पे बैठा हूँ समन्दर की तलाश में…!
ये भी बिखरें है और मैं भी एक जैसे हालात
ये बह गए मैं थम गया बस खोए है अपनी तलाश में…!