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13 Jun 2022 · 1 min read

बेचारी ये जनता

बेचारी ये जनता
———००——-
गौतम गांधी के आंगना में
बिन नुपुर नाचे अराजकता ,
अराजकता के चक्रवात में
जनमन रोपित वैमनस्यता।
खून खराबा फसाद ये दंगे
दिन रात क्षरण हो रही मानवता,
बेगुनाह निरीहो के खून में
रंगी मुल्क की धर्मनिरपेक्षता।
नफरती हलाहल फैलाने में
मरुस्थल बनती नैतिकता ,
नेताशाही नित रहे ठाठ में
प्रिय प्रजातंत्र की विशेषता ।
टांग खींच और उठा पटक में
मद्य मस्त हुए हैं ये नेता ,
दब गई मंहगाई के पग तले
दीन हीन बेचारी ये जनता ।
चीर हरणो की चीख नारी में
दहेज बेदी में लटकती सुता ,
बेरोजगार सड़क नाप थके
कार्य करें वो अवैधानिकता ।
———————————–
शेख जाफर खान

Language: Hindi
8 Likes · 15 Comments · 688 Views
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