बेगानों के जश्न में,दीवाना मस्ताना है कोई –आर के रस्तोगी
बेगानों के जश्न में,दीवाना मस्ताना है कोई
मुल्क से बढकर,किसी का दोस्त है वहाँ कोई
शहीदों के कातिलो को, बेगुनाह समझते हो तुम
उनके मुल्क में जाकर,उनको गले लगाते हो तुम
सोचते हो अगर वे बेगुनाह है सिद्धू,ऐसा हो तुम
फिर पाक में जाकर,बस जाते क्यों नहीं तुम ?
पता लगेगा तुम्हे,कैसी कदर करता है वहाँ कोई
जो दूर से दोस्त दिखता है,वहाँ जालिम हर कोई
बेगानों के जश्न में,दीवाना मस्ताना है कोई
मुल्क से बढ़कर किसी का दोस्त है वहाँ कोई
बुला कर जश्न में तुम्हे,बना है रहे वे बुद्धू
अभी भी वक्त है सभल जाओ तुम सिद्धू
फूले नहीं समा रहे हो अब वहां जाकर हो तुम
दुश्मन को दोस्त समझकर शाल उढा रहे हो तुम
इस शाल का शहीदों का कफन बना न दे कोई
वे देश के दुश्मन है,दोस्त बनेगा न वहाँ कोई
बेगानों के जश्न में दीवाना मस्ताना है कोई
मुल्क से बढकर किसी की दोस्त है वहाँ कोई
वह क्रिकेट के मैदान में भी था दुश्मन तुम्हारा
कैसे समझ ले हम, वह दोस्त है अब तुम्हारा
यह अनोखी चाल है जो जश्न में बुलाया तुमको
भारत के खिलाफ लड़ने में मोहरा बनाया तुमको
इस शतरंज की चाल को समझ रहा न कोई
तुम्हारे देश को शह देना चाहता है अब कोई
बेगानों के जश्न में,दीवाना मस्ताना है कोई
मुल्क से बढ़कर किसी का दोस्त वहाँ है कोई
कहते हो मोहब्बत का पैगाम ले जा रहा हूँ मैं
इसके बदले अमन का, पैगाम ला रहा हूँ मैं
किती बार अमन पैगाम् भेजे जा चुके है उसको
हर बार ठुकराया है इस पैगाम को उसने हमको
जायेगा न ऐसे पैगाम भारत से उसको अब कोई
मुकर जाता है वहां अपने वादों से हर वहाँ कोई
बेगानों के जश्न में,दीवाना मस्ताना है कोई
मुल्क से बढकर किसी का दोस्त है वहाँ कोई
आर के रस्तोगी