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31 Mar 2022 · 1 min read

!¡! बेखबर इंसान !¡!

नासमझ और बेखबर, होता क्योंकर इंसान
सोच समझ न कर्म करे, होवे क्यों मूर्ख समान
नासमझ और बेखबर………
1) दूजों को दुखड़े देकर, क्यों खुश होकर मुस्काता है
जो जैसा बोता है वह नित, वैसा ही फल पाता है
कर्म लेख नहीं मिटता प्यारे, नष्ट करो मन के अज्ञान
नासमझ और बेखबर………
2) तेरी आंखें देख रही हैं, कोई नहीं तुझे देख रहा
भ्रम में मत रहना बंदे, लिखने वाला कब से लिख रहा
अभी किया, फल अभी मिलेगा, घूमे क्यों बनकर नादान
नासमझ और बेखबर…………
3) अंत समय में पछताए, उससे पहले ही पछताले
झूठ – असत्य के पैर नहीं, फिर लगे मिलें सारे ताले
वक्त कहर बन बरसे, हो ले पहले से सावधान
नासमझ और बेखबर…………
लेखक:- खैमसिंह सैनी
M.A, B. Ed. From Rajasthan
Mob. No. 9266034599

Language: Hindi
10 Likes · 7 Comments · 534 Views
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