बेकली
बेचैन दिल की धड़कन,सुन हवाएं बेचैन हैं,
न सकुन दिन में हासिल रातों को भी न चैन हैं।
पथराई संवेदना सब ओर बेकली है,
कोई नहीं बताता, किश्ती किधर चली है?
नीलम नयन है अंबर, पुतली बनें हैं जलधर,
कर बेकली को जुदा, मुरली बजाकर गिरधर।
-नीलम शर्मा…….…✍️