बेकरार दिल
बेकरार दिल को करार
आये कैसे जो अपना था
चला गया इस दुनियां से
से कहीं दूर *****
जिसके आने की
कोई उम्मीद ही नहीं
फिर भी ना जाने क्यों
और किसका इंतजार
क्या करे ये दिल बेकरार….
दिल की बेकरारी
भी क्या कहिये
जो अजीज है
वो नसीब नहीं
जो करीब है
वो अजीज नहीं
जिंदगी अपनी
सपने अपने
सपनों में रहता
कोई और है
तराना अपना
फसाना अपना
गुनगुनाता कोई
और है
दिल अपना
चाहते अपनी
चाहतों में निशानी
किसी और की
नींदें अपनी
सपने किसी और के
दर्द अपना
दवा बनता कोई और है
जिंदगी का फसाना भी अजीब है
जो अजीज है वहीं नहीं बन पाता
नसीब है
नसीब की बात भी क्या कहिए
जो पास है ,उसे दिल चाहता नहीं
जिसे दिल चाहता है ,वो नसीब में नहीं ।