बेअसर नीतियाँ
बेअसर नीतियां
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नहीं होता है,
किसी सुझाव का,
कोई असर,
जब तक भूख का हो,
पेट पर असर,
सुकड़ रहा होता है,
जन जन का जठर,
कथनी और करनी में,
सदैव दिखता है अंतर,
कोई भी काम न आए,
तंत्र,जंत्र और कोई मंत्र,
कानून,भाषण,और,
प्रभावमयी प्रवचन,
सिद्ध हो जाते हैं मात्र,
ढकोसले और गिर जाते हैं,
बने बनाए हुए हौंसले,
साबित हो जाते हैं तब,
भूखों के लिए बेअसर,
और विडंबना तो देखिए,
जिनके भरे होते हैं,
राजसी निवालों से पेट,
वही निर्धारण करते हैं,
भूखों,बेसहारों के लिए,
राष्ट्रीय,वित्तीय, कल्याणकारी,
नीतियां,नियम,अधिदेश,
जारी करते रहते हैं,
हितकारी और शुभकारी,
शासकीय अध्यादेश,
जो होते हैं खोखले और,
निष्क्रिय,दिशा-दशा विहीन,
जिनके लिए जाते बनाये,
किए जाते हैं उनके,
कल्याण में क्रियान्वित,
पर यह सब होते हैं,
फायदेमंद और कल्याणकरी,
केवल उनके लिए ही,
जिनके द्वारा जाते हैं बनाये,
और किए जाते हैं,
क्रियान्वित मनसीरत,
वही असरदार, मलाईदार नीतियाँ,
और शेष सर्व वर्ग हेतु,
बेअसर………………।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली(कैथल)