बेअदबी के नाम पर
रास्ते खुले हैं अनगिनत
शैतान होने के लिए
मेहनत करनी पड़ती है
इंसान होने के लिए…
(१)
हमसे अपनी आज़ादी
संभाली नहीं जा रही
बेताब हैं हम फिर से
गुलाम होने के लिए…
(२)
कायदे-कानून सारे
ताक पर रख दिए हैं
अंधे मजहबपरस्तों ने
हैवान होने के लिए…
(३)
हमारे लिए किताबें हैं
या किताबों के लिए हम
क्या हम कोई बकरे हैं
कुर्बान होने के लिए…
(४)
एक लम्हे की लापरवाही
काफी हुआ करती है
सदियों के जद्दोजेहद को
नाकाम होने के लिए…
(५)
जिनका रब मोहताज है
मंदिर या मस्जिद का
जिम्मेदार वही हैं देश के
बदनाम होने के लिए…
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Shekhar Chandra Mitra
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