” बूढ़ छी त बूढ़ छी “
डॉ लक्ष्मण झा”परिमल ”
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बूढ़ छी त बूढ़ छी
जा धरि जिनगीअछि
किछु न किछु निरंतर
करैत रहैत छी !!
समय सकाल खराब छैक ,
कोरोना क प्रभाव छैक ,
घर मे दुबकल छी ,
घरो मे बहुत काज छैक !!
इमहर सं उमहर काज
कोनो ना कोनो करैत छी !
बूढ़ छी त बूढ़ छी
जा धरि जिनगीअछि
किछु न किछु निरंतर
करैत रहैत छी !
देहो जे झाडब त
हड्डी नहि टूटि जाय ,
देहो जे फुलायब त
मांस -पेशी नऽ लटकि जाय !
आन के बुझत हमर दर्द
हम जनैत छी !
बूढ़ छी त बूढ़ छी
जा धरि जिनगीअछि
किछु न किछु निरंतर
करैत रहैत छी !!
काज जे कोनो करब
परिहास आलोचना होइत रहत ,
“बुढ्बा सठिया गेल ”
खिध्यांस भला के सुनत ?
हम त दलाने पर
गबदी मारने बैसैत छी !
बूढ़ छी त बूढ़ छी
जा धरि जिनगीअछि
किछु न किछु निरंतर
करैत रहैत छी !!
लोक -डाउन क चपेट मे
गाड़ी घोडा बंद भऽ गेल ,
कतो जे घुमितहूँ आ बुलितहूँ
सेहो बड़का आफत भेल !
घर मे बैसल- बैसल
मन ऑल -बॉल करैत अछि !
बूढ़ छी त बूढ़ छी
जा धरि जिनगीअछि
किछु न किछु निरंतर
करैत रहैत छी !!
आब घरे बैसि किछू
हृदय क उद्गार हम लिखैत छी ,
बच्चा आबि-आबि
पुछैत अछि” बाबा ” आहाँ की करैत छी ?”
बूढ़ छी त बूढ़ छी
जा धरि जिनगीअछि
किछु न किछु
निरंतर करैत रहैत छी !
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डॉ लक्ष्मण झा”परिमल ”
एस .पी .कॉलेज रोड
नाग पथ
शिव पहाड़
दुमका