बूढ़े बाबा
सफ़ेद दाढ़ी सफेद बाल
कपड़े भी सारे ही सफ़ेद
बूढ़े बाबा मुझे देख रहे थे जैसे
अपने अतीत में झांक रहे हों
ज्यों नज़र उनसे मिली
मुझे भी एहसास हुआ
मेरे आने वाले भविष्य का
एक दिन जरूर
मैं भी वैसे ही हो जाऊंगा!
दुर्बल शरीर, उभरी नसें।
कुछ भी अटल नहीं है,
अटल है तो सिर्फ है परिवर्तन
मात्र यही शाश्वत सत्य है जीवन का।
उन कमजोर पर चमकती
आँखों ने देखा हुआ है
बदलते इतिहास को
बड़ी से बड़ी इमारत को
खंडहर में बदलते
वीरान खाली पड़ी जमीं पर
शहर बसते
रोज ही नया आरम्भ होते
और
किसी आरम्भ का अंत होते ।
वे चमकती आंखों और स्थिर मुस्कान
कह रहीं थीं सब कुछ
बिना कुछ बोले!
🖋️अटल©