बूढ़ी
बुढ़ी 1
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पछिला साल चारि बरिस पर आयल छलखिन बेटा
सासुक सराध मे सासुर दू दिन गामों मे रहलाह
मायकेर जमा कयलहा, साग नेबो लताम सं
आमद जे किछु टाका कौड़ी सबटा ल गेलाह
बुढ़ी असगरे रहैत छथि एतेकटा पुरपाटनक बादो
दू दूगो दरियादार बेटा आ सातटा पोताक अछैतो ।
नीक कमाइत खटाइत छनि ओ सब परदेश मे
कहियो काल फोन करैत छनि हालचाल बुझैत छनि
बुढ़ीके खयबाक पीबाक कोनो चिंता नै छनि
बुढ़ाक अरजल दस पांच कठ्ठा बांचल छनि
पैरुख खसलनि अछि मुदा एखनो टोल बुलैत छथि
की करती भरि आंगना में एसगरे रहैत छथि
ओ भ आबैत छथि एखनो पोखरी भीड़ा कात
खरुआन सब नोचैत ने हो कोपर, बांस काठी
किछु बेख, बिज्जु आ कलमी आमक गाछ
अपन सक्क भरि बसबिट्टी देख आबैत छथि
भकोभन्न राति तेना तेना काटैत छथि बुढ़ी
देवाल सं किदन कहांदनि(अर्र दर्र)बतिआइत छथि बुढ़ी
जयबाक त छनिहे एकदिन से बुझैत छथि बुढ़ी
चुहचुहियाक बाजब सं पहिने उठैत छथि बुढ़ी
बुढ़ीक खोज पुछारी बेस छनि गाम में
ओ टोलक चौबटियाक शोभा छथि बुढ़ी
समाचार प्रसारण केन्द्र छथि बुढ़ी
स्त्री वर्गाइतक बेस पसंद छथि बुढ़ी
बुढ़ीक आमदनीक श्रोत बेस बांचल छनि
टोल भरिक बेटी पुतहुक भाड़ा हुनके छनि
अवसरि पर डहकन गबैत छथि, बंगाल कहैत छथि
पंचमी मधुरश्रावणी सबके पुजबैत छथि बुढ़ी
एकहकटा चीज ओरियान सं रखैत छथि बुढ़ी
सीदहा दक्षिणा अंगने अंगने सं लाबैत छथि बुढ़ी
जियान नै होइक बाकस आ सन्नुक मे रखैत छथि बुढ़ी
एकदशा होइक की एकदशी सबहक भरमा बचबैत छथि
पलायन आ उदासीनताक दर्द सहैत अछि गाम
खेथपथार बटइया लेबाक लेल तैयार नै छै केओ
सने:सने: पोसिया घरे घरे लागि रहल छथि भगवती
सबटा टेकने,सबके डेबने सबहक निमेरा करैत छथि बुढ़ी ।
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अवधेश ।।