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25 May 2022 · 1 min read

बूंद और सागर

एक दिन सागर, बूंद से बातें कर रहा था,
जाने कितनी ही खरी खोटी सुना रहा था.
कहने लगा मैं बड़ा विशाल हूँ,
जाने कितने, अनमोल खजाने से मालामाल हूँ.
जाने कहाँ कहाँ से लोग मुझे देखने आते हैं,
लहरों संग खेलकर खुश हो जाते हैं.
काफी देर तक, बूंद, सब सुनते रही,
चाहती रही कहना, मगर चुप रही.
इतना घमंड, देखकर, अब उससे न रहा गया,
उसने भी दिल की बात कहना शुरू किया.
बूंद बोली कि, सागर, तुम, यूँ नहीं विशाल .
लहरें भी, जो………बह रही हैं, इसमें भी,
छोटी छोटी बूंदों का है कमाल!!
गर बूंद न होगी तो, तो कैसे होगा , नजारा उजागर,
तुम भी मत भूलो, बूंद बूंद से ही बनता सागर.

Language: Hindi
2 Likes · 267 Views
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