Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 May 2024 · 1 min read

बूँदों के कायदे…

शहर मे बारिश की बूंदें,
अजब क़ायदे दिखाती हैं,
जो पसीने से तरबतर हैं,
ये उनको ही भिगाती है….

उनके छप्पर मे बरसकर,
फिर छज्जे मे चली आती है,
जो मजबूरियों मे सोते हैं,
ये उनको बहा ले जाती है…

वहीं कुछ वो भी हैं जो,
सूखे ही बने रहकर,
बूंदों का मज़ा लेते हैं,
बैठ कर आशियानों मे,
चाय के घूंट पिया करते हैं…

उनके घर मे यही बूंदे,
इधर उधर से बह जाती हैं,
छोड़ कर दहलीज़ उनकी ,
‘बसेरा’ गरीब का बहाती हैं…

इनके गिरने के यहाँ ,
पैमाने अलग अलग हैं,
इनके क़ायदों की ज़द मे,
यहाँ ‘घर’भी अलग अलग हैं….

© विवेक’वारिद’ *

Language: Hindi
1 Like · 55 Views
Books from Vivek Pandey
View all

You may also like these posts

रक्षा दल
रक्षा दल
Khajan Singh Nain
रौनक़े  कम  नहीं  है  चाहत  की,
रौनक़े कम नहीं है चाहत की,
Dr fauzia Naseem shad
- वास्तविकता -
- वास्तविकता -
bharat gehlot
*संगीत के क्षेत्र में रामपुर की भूमिका : नेमत खान सदारंग से
*संगीत के क्षेत्र में रामपुर की भूमिका : नेमत खान सदारंग से
Ravi Prakash
मम्मी की खीर
मम्मी की खीर
अरशद रसूल बदायूंनी
बस यूँ ही तेरा ख्याल आ गया
बस यूँ ही तेरा ख्याल आ गया
डॉ. एकान्त नेगी
कनक थाल बैठे दो दीपक
कनक थाल बैठे दो दीपक
Madhuri mahakash
फर्क़ है
फर्क़ है
SURYA PRAKASH SHARMA
ये जिंदगी
ये जिंदगी
Sumangal Singh Sikarwar
आल्हा छंद
आल्हा छंद
seema sharma
"नारी है तो कल है"
Pushpraj Anant
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Meenakshi Madhur
वो आए और देखकर मुस्कुराने लगे
वो आए और देखकर मुस्कुराने लगे
Surinder blackpen
देश- विरोधी तत्व
देश- विरोधी तत्व
लक्ष्मी सिंह
स्मृतियाँ
स्मृतियाँ
Dr. Upasana Pandey
राह में मिला कोई तो ठहर गई मैं
राह में मिला कोई तो ठहर गई मैं
Jyoti Roshni
कण कण में राम
कण कण में राम
dr rajmati Surana
एक गीत तुमको लिखा
एक गीत तुमको लिखा
Praveen Bhardwaj
प्राण प्रतीस्था..........
प्राण प्रतीस्था..........
Rituraj shivem verma
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मुझे याद🤦 आती है
मुझे याद🤦 आती है
डॉ० रोहित कौशिक
🌼एकांत🌼
🌼एकांत🌼
ruby kumari
मुस्कान
मुस्कान
Shyam Sundar Subramanian
बहर- 121 22 121 22 अरकान- मफ़उलु फ़ेलुन मफ़उलु फ़ेलुन
बहर- 121 22 121 22 अरकान- मफ़उलु फ़ेलुन मफ़उलु फ़ेलुन
Neelam Sharma
2902.*पूर्णिका*
2902.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
माटी में है मां की ममता
माटी में है मां की ममता
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
अपने भाई के लिये, बहन मनाती दूज,
अपने भाई के लिये, बहन मनाती दूज,
पूर्वार्थ
अधूरी सी ज़िंदगी   ....
अधूरी सी ज़िंदगी ....
sushil sarna
"गुलाम है आधी आबादी"
Dr. Kishan tandon kranti
ये दाग क्यों  जाते  नहीं,
ये दाग क्यों जाते नहीं,
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
Loading...