बूँदे बारिश की!
मैं जानता हूँ बारिश कितनी बावली थी
तुम्हारा चेहरा छूने को वो उतावली थी!
मोतियों जैसी टपकती बूँदों की ख़ातिर
मैं जानता हूँ तुम सचमुच ही बावरी थी!
तुम्हारे चेहरे पर बारिश की बूँदें पड़तीं
तुम झलक देती स्नेहमयी कामिनी सी!
ऐसा चमचमा उठता था तुम्हारा चेहरा
जैसे तुम दामिनी थी हसीं यामिनी की!
काश मैं भी बारिश की बूँदें बन सकता
आसमान से टपकता मैं तुम्हें छू सकता!
तुम्हारा चाँद सा चेहरा मुस्कान से भरता
चेहरा सहलाते मैं तुम्हें सुकून दे सकता!
उसपर खिलती मुस्कुराहट देख सकता
तुम्हें हँसता देख सुकून का साँस भरता!
तुम्हारी ख़ुशी के पल मैं महसूस करता
तुम्हें छूने से कितना आनंद महसूस की!
तुम्हारे स्पर्श से बारिश कैसी सानंद थी
जैसे एहसास हो फूल छूने के मानंद ही!