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21 Oct 2019 · 1 min read

बुढ़ापा

धीमे धीमे मेरे घर के पिछले दरवाज़े पर कोई दस्तक दे रहा था। मैने सोचा शायद तेज़ हवा का झोंका दरवाज़े को भड़भड़ा रहा है। जब आवाज़ शान्त ना हुई तो उठकर दरवाज़ा खोलकर देखा तो एक बूढ़े आदमी को पाया। मैने पूछा भाई तुम कौन हो और मुझसे क्या चाहते हो?उसने उत्तर दिया मै तुम्हारा बुढ़ापा हू्ँ। तुम्हें तुम्हारे आने वाले समय से अवगत कराने आया हूँ। तुम्हारा भविष्य अब तुम्हारे हाथों से निकल कर दूसरों के हाथों में जाने वाला है। तुम्हारी सोच,तुम्हारे मूल्य, तुम्हारे आदर्श, तुम्हारी नीती, तुम्हारे संस्कार, तुम्हारा अनुभव ,नई पीढ़ी के लिये जबरन ज्ञान का काढ़ा के सिवा कुछ भी नही हैं।
अब तुम्हें नई पीढ़ी की सोच के अनुसार ही चलना होगा जिससे मतभेदों से उत्पंन्न विवादों से बचा जा सके। जबरन अपनी सोच दूसरों की सोच पर हावी करने का प्रयत्न कटुता पैदा कर सकता है। जिससे तुम्हे बचना होगा। तुम्हारी सोच से उठाये गये कदमों पर नई पीढ़ी का दख़ल तुम्हे स्वीकार कर परिवर्तन के बाध्य होना पड़ेगा।आपसी सामन्जस्य हेतु तुम्हें हालातों से समझौता करना होगा।
तुम्हे यह स्वीकार करना होगा कि अब स्वावलंबी जीवन जीने की कला के दिन शनैःशनैः कम होने वाले हैं। शारीरिक एवं मानसिक शक्तियों का बढ़ती आयु के फलस्वरूप होने वाला क्षरण अवलंबित जीवन यापन को बाध्य करेगा। अतः तुम अपने आपको आने वाले कल की व्यावहारिक सोच के स्वागत के लिये तैयार करो।जिससे आने वाला कल शान्तिदायक एवं सुखप्रद व्यतीत हो सके।

Language: Hindi
Tag: लेख
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