बुलबुला
तुम..आओ फिर
एक बार यौंही
डूब कर खिल जाओ
पानी के बुलबुले-सी
गहरी चमक
मिल जाती है तुम में
धरती की काया
सज गयी
फिर पहले सी
जैसे तुम वर्षों तक
उजली आंखों में थे
आज पुनः सहेजा है तुम्हें
पुरानी यादों की तरह
आओ! हम दोनों
एक बार फिर खिले
उजले पुष्प की तरह۔۔ ।
मनोज शर्मा