छायावाद के गीतिकाव्य (पुस्तक समीक्षा)
*वृद्ध-जनों की सॉंसों से, सुरभित घर मंगल-धाम हैं (गीत)*
माँ तुम्हारे रूप से
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
इस संसार में क्या शुभ है और क्या अशुभ है
हालात ए शोख निगाहों से जब बदलती है ।
आफ़त
सुशील कुमार सिंह "प्रभात"
इश्क के बीज बचपन जो बोए सनम।
पढ़ते है एहसासों को लफ्जो की जुबानी...
फरियादी
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
तू ही हमसफर, तू ही रास्ता, तू ही मेरी मंजिल है,
25-बढ़ रही है रोज़ महँगाई किसे आवाज़ दूँ
कह न पाई सारी रात सोचती रही
💐प्रेम कौतुक-526💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
आज यूँ ही कुछ सादगी लिख रही हूँ,