*बुरी बात को बुरा कह सकें, इतना साहस भर दो (गीत)*
बुरी बात को बुरा कह सकें, इतना साहस भर दो (गीत)
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बुरी बात को बुरा कह सकें, इतना साहस भर दो
1)
बनें वीर अभिमन्यु सरीखे, चक्रव्यूह में जाऍं
चक्रव्यूह को भले तोड़कर, बाहर निकल न पाऍं
लड़ें वीरता से रण में हम, भीतर से वह स्वर दो
2)
हम जटायु की-सी चोंचों से, रावण से टकराऍं
तलवारों से पंख कटा कर, मरण भले ही पाऍं
नारी की मर्यादा के हित, हमको शक्ति प्रखर दो
3)
दो दिन जिऍं भले हम या फिर, चिंगारी बन आऍं
मूल्य नहीं लंबे जीवन का, खुद को यह समझाऍं
मिलें हमें तेजस्वी दो पल, ईश्वर इतना वर दो
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451