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27 Feb 2022 · 1 min read

*बुरा न मानो होली है 【गीतिका 】*

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बुरा न मानो होली है 【गीतिका 】
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(1)
जो मन में है बाहर लाओ ,बुरा न मानो होली है
बड़बड़ से अच्छा बक जाओ ,बुरा न मानो होली है
(2)
चेहरे से चेहरा उतारकर ,रख आओ तो आना
असली वाली हँसी दिखाओ ,बुरा न मानो होली है
(3)
बैंक-लोन लेकर बैठे हो ,कोठी-कारें गिरवीं हैं
हो दिवालिया तो बतलाओ ,बुरा न मानो होली है
(4)
रिश्वत देकर नौकरियों का ,चलन चल रहा क्या अब भी
जो रसीद हो तो दिखलाओ ,बुरा न मानो होली है
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999 761 5451

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