बुराई
बुराई
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मैनें तो बस ,
थोड़े समय के लिए ,
तेरी जमीं पर ,
डेरा डाला था।
तुम कहते हो कि ,
दिल पर कब्जा कर लिया।
कब्जा तो सिर्फ ,
मष्तिष्क पर किया जाता है।
दिल तो केवल धड़कता है ,
बस धड़कना जानता है ।
गम में भी खुशी में भी ,
धूप में भी छाया में भी ,
उसे अपना काम करने दो ।
बस मस्तिष्क को,
कभी खुला मत छोड़ो ।
क्योंकि_
खाली दिमाग ,
शैतान का घर…
____तेरा अपना ही साथी,
__बुराई
मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – २० /०१ / २०२२
माघ , कृष्णपक्ष ,द्वितीया
२०७८, विक्रम सम्वत,गुरुवार
मोबाइल न. – 8757227201